दिल्ली – कन्हैया कुमार का कहना है कि उनको बदनाम करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गहरी साजिश कर रही है आजकल बिहार के बेगूसराय में कैंप कर रहे हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने की हरी झंडी मिलने के बाद कन्हैया पूरी तरह चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. फोकस दिल्ली से बेगूसराय शिफ्ट हो चुका है. कबड्डी प्रतियोगिताओं से लेकर राजनीतिक जनसभाओं में उन्हें देखा जा सकता है. लेकिन बिहार में भी विवादों से उनका नाता टूटता नहीं दिखाई दे रहा.
आपके खिलाफ 48 घंटे के भीतर बिहार में दो एफआईआर दर्ज कराई गई. ताजा मामला बेगूसराय में हुईं हिंसा है. 16 अक्टूबर की शाम क्या हुआ था?
हम मंसूरचक से सभा करके लौट रहे थे. भगवानपुर थाने के दहिया गांव में मेरे काफिले पर हमला किया गया. वो भारतीय जनता युवा मोर्चा और बजरंग दल के कार्यकर्ता थे. उनकी तस्वीरें सुशील मोदी के साथ है. उन्हें स्थानीय भाजपा एमएलसी रजनीश का संरक्षण प्राफ्त है. इनकी मंशा ही नुकसान पहुंचाने की थी.
उनकी मंशा नुकसान पहुंचाने की थी तो आपका काफिला रोका गया या आप खुद ही वहां रुके थे किसी से मिलने के लिए?देखिए दोनो अलग-अलग मामला है. पूजा कहीं और हो रही थी और रुके हम कहीं और थे. हां ये ठीक है कि बीएल शिक्षण संस्थान में एक परिचित से मिलने गए थे. लेकिन उन लोगों ने वहां पहुंचकर हंगामा किया. हमारे साथ एस्कॉर्ट पार्टी थी, उससे पूछिए. प्रशासन के लोग बताएं कि क्या हुआ था स्थानीय लोगों के मुताबिक आपके काफिले में जो लोग आपके साथ थे उन्होंने लोहे की छड़ों और हॉकी स्टिक से हमला किया.
कोई स्थानीय लोगों का कहना-वहना नहीं है. भाजयुमो और बजरंग दल का सुनियोजित राजनीतिक हमला है ताकि मेरा चरित्र खराब किया जाए. यहां का माहौल खराब किया जाए. धार्मिक भक्ति भाव का माहौल है तो ये कैसे खराब किया जाए और मुझे हिंदू विरोधी बताया जाए. जिसकी पिटाई हुई वो कोई गैर राजनीतिक व्यक्ति नहीं है. वो भाजयुमो का आदमी है. रॉड था, डंडा था, पचास आदमी थे तो किसी एक ही आदमी का सिर फूटेगा. अगर ये सच्चाई होती तो 40-50 आदमी के सिर फूटते.आप कैसे दावा कर सकते हैं कि भाजयुमो और बजरंग दल के लोग वहां साजिश के तहत जमे थे? स्थानीय लोग तो आप पर उंगली उठा रहे हैं.
स्थानीय लोगों में कोई चर्चा नहीं है. भाजपा के कट्टर समर्थकों ने हवा बनाने की कोशिश की है. हम भी तो इसी इलाके के हैं. हम जानते हैं. ये गांव जो है दहिया उसका इतिहास जान लीजिए. यहां के दो चार परिवार पुराने समय से आरएसएस से जुड़े हुए हैं. भगवानपुर चौक इकलौती ऐसी जगह है बेगूसराय में जहां बजरंग दल या भाजपा का गढ़ है. अगर हमने बदमाशी की तो वहां के प्रखंड की गाड़ी क्यों तोड़ दी. ये राजनीतिक हमला है.पांच मिनट के भीतर तमाम भाजपा नेता वहां कैसे पहुंच जाते हैं. मतलब ये लोग कहीं पीछे बैठे हुए थे.
पटना एम्स में क्या हुआ था? मान लीजिए हम गए हैं किसी से मिलने के लिए. एम्स में गार्ड होगा. सीसीटीवी होगा. अगर हम सौ लोग घुसें हैं डंडा लेकर तो कोई फुटेज होगा न. हॉस्पिटल में तो कोई भी इंजुरी रिपोर्ट बना सकता है लेकिन वो कहां है. आप एम्स पटना का ऑफिसियल फेसबुक पेज देखिए. उसमें लिखा है एंटी नेशनल कन्हैया कुमार. ये पॉलिटिकली मोटिवेटेड मामला है. भाजपाई डॉक्टरों ने किया है.
न्यायालय में वकील, एम्स में डॉक्टर, जएनयू में पीएचडी रोकने के लिए वीसी, और बिहार में राजनीतिक फायदे के लिए दुर्गा जी का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम तो मंदिर भी जाएंगे. सामाजिक काम है. लोग बुलाते हैं जाएंगे. मंदिर-मस्जिद-गिरिजा हर जगह जाएंगे.
तो क्या चुनावी राजनीति में आप ऐसी ही शुरुआत चाहते थे?
आप ही सोचिए. जिसको राजनीति करनी है. चुनाव लड़ना है वो मारपीट करेगा. वो भी पूजा पंडाल में जाकर मारपीट करेगा और अपने ही इलाके में करेगा. मारपीट करना होगा तो भाजपा नेता के घर पर जाकर करेगा.
बेगूसराय में आपको कैसा फीडबैक मिल रहा है ? बेगूसराय में लोग बेवकूफ नहीं हैं. यहां के लोग सब समझते हैं. जब देशद्रोही होने की साजिश रची गई तब भी यहां के लोग बहकावे में नहीं आए. ये लोग हमको फंसाना चाहते हैं. हम संविधान और कानून के मुताबिक ही काम करेंगे. पहले ये देशद्रोही बनाने की कोशिश कर रहे थे अब गुंडा बनाने की साजिश हो रही है. जितने तरीके से बदनाम करने का प्रयास करना है कर लें. उस समय भी मुंह की खानी पड़ी थी, फिर मुंह की खानी पड़ेगा. पीतल को सोना नहीं बनाया जा सकता है.
जेएनयू की पॉलिटिक्स और बेगूसराय की पॉलिटिक्स में क्या अंतर लग रहा है?
हमारे लिए कोई अंतर नहीं है. हम अपने उसूलों से डिगेंगे नहीं. जैसे वहां काम कर रहे थे. अब यहां कर रहे हैं. अंतर क्या रहेगा.