नरेंद्र मोदी ने हाल ही में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देश को समर्पित किया है. इसके बाद से ही इसे लेकर दुनिया भर में चर्चा चल रही है. दरअसल यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है, इसकी ऊंचाई में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई से लगभग दोगुनी है. यहां एक तरह इस मूर्ति के चर्चे चल रहे है इसी बीच ब्रिटेन ने भारत पर तंज कसा है. इतना ही नही ब्रिटेन में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर भारत का मजाक भी उड़ाया जा रहा है.
ब्रिटेन ने भारत पर तंज करते हुए कहा है कि भारत एक आमिर देश है. हमसे 100 करोड़ का कर्ज लेकर भारत 3300 करोड़ की मूर्ति बना रहा है. बीते तीन साल में ब्रिटेन ने भारत को 100 करोड़ से अधिक का अनुदान दिया है. तीन वर्षों के दौरान ब्रिटेन की ओर से भारत को 1 बिलियन पौंड से अधिक अनुदान दिया गया है.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन के बाद से ही ब्रिटेन में यह कहकर भारत का मजाक उड़ाया जा रहा है कि भारत एक अमीर देश है क्योंकि इसे दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनाने का सौभाग्य मिला है. आपको बता दें कि सरदार बल्लभ भाई पटेल को समर्पित इस विशाल कांस्य स्मारक का बुधवार को अनावरण किया गया है.
इसके बाद से ही अत्यधिक खर्चे के लिए इस प्रोजेक्ट की निंदा की जा रही है. इस परियोजना की शुरुआत 2012 में की गई थी इसी साल भारत को ब्रिटेन ने 300 मिलियन पाउंड का कर्ज दिया था. इसके बाद 2013 में 268 मिलियन पौंड का अनुदान दिया गया फिर 2014 में यह आंकड़ा 278 मिलियन पौंड रहा तो 2015 में 185 मिलियन पौंड का था.
इसके बाद अब ब्रिटेन का आरोप है कि भारत ने इस मूर्ति का निर्माण ब्रिटेन की और से मदद के लिए दिए गए पैसे से किया है. ब्रिटेन के एक सांसद पीटर बोन ने कहा कि हमारे द्वारा की गई 330 मिलियन की सहायता का पैसा खर्च करने का मामला बहुत अजीब है जिससे साबित होता है कि हमें भारत को पैसा नहीं देना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि यह पूरी तरह भारत के ऊपर है कि वे सहायता का पैसा कैसे खर्च करते हैं लेकिन अगर भारत इतनी महंगी मूर्ति का खर्च बर्दाश्त कर सकते हैं तो साफ तौर से स्पष्ट है कि वह एक अमीर देश है जिसे हमें सहायता देने की आवश्यकता नहीं है.
आपको बता दें कि ब्रिटिश की ओर से दी गई सहायता राशी को सौर पैनलों और कम कार्बन परिवहन योजनाओं और महिलाओं के अधिकारों में सुधार की परियोजनाओं पर खर्च किया गया था. ब्रिटेन के अखबारों के अनुसार भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है यहां ब्रिटेन की तुलना में अधिक अरबपति हैं.